जहाँ के शिवलिंग का आकार लगातार बढ़ रहा है...
क्या भगवान अपने भक्तों के कल्याण के लिए स्वयं प्रकट होते हैं? एक सजीव व्यक्ति की तरह क्या मूर्तियों का भी आकार बढ़ता है? क्या चमत्कार वास्तविक होते हैं? ये कुछ ऐसे अबूझ प्रश्न हैं, जिनका जवाब कोई नहीं जानता, लेकिन हर धर्म के अनुयायी कभी न कभी ऐसे चमत्कारों से कथित तौर पर रूबरू जरूर होते हैं। कभी किसी वृक्ष में उन्हें अपने ईष्ट नजर आते हैं, तो कभी प्रसाद अपने आप गायब हो जाता है। इस बार आस्था और अंधविश्वास की अपनी प्रस्तुति में हम ऐसे ही एक मंदिर में पहुँचे। अब इस मंदिर से जुड़ा यह चमत्कार आस्था है या कोरा अंधविश्वास, यह आप ही तय कीजिए।जब हम मंदिर में पहुँचे तो कुछ श्रद्धालु शिवभक्ति में लीन थे। इन लोगों को विश्वास था कि यहाँ माँगी गई मनौतियाँ जरूर पूरी होंगी। मंदिर में प्रतिष्ठित लिंग काफी कुछ उज्जैन के महाकाल के शिवलिंग की तरह ही लग रहा था। बस यह बात अजीब थी कि जहाँ महाकाल का शिवलिंग क्षरण के कारण लगातार घट रहा है, वहीं लोगों का दावा है कि यहाँ का शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है।
शुरू में तो किसी को भी पता नहीं चला था, परंतु चार-पाँच साल बाद सभी को अहसास होने लगा कि शिवलिंग लगातार बढ़ रहा है। अब इसकी ऊँचाई लिंग के मूल रूप की तुलना में काफी बढ़ चुकी है। इस शिवलिंग के स्वयंभू होने के पीछे भी एक कथा है।
" अपने आराध्य के दर्शन नहीं कर पाने के कारण गौरीशंकरजी ने अन्न-जल त्याग दिया। इस बार बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया और गौरीशंकर जीवन के अंतिम क्षण गिनने लगे। वे मृत्यु के करीब ही थे कि तभी उन्हें भोलेशंकर ने दर्शन दिए और वरदान माँगने को कहा। गौरीशंकर ने प्रभु से नित्य दर्शन का वरदान माँगा। प्रभु ने आशीर्वाद दिया कि जहाँ भी वे पाँच बिल्वपत्र रखेंगे वहीं महाकाल प्रकट होंगे।"
No comments:
Post a Comment