रहस्य
और रोमांच के इस दौर में हमारा अगला पड़ाव क्या होगा? कहाँ जाएँ हम। आपके
सामने क्या नया लाएँ। हम इसी उधेड़बुन में उलझे थे कि हमारी टीम में से एक
व्यक्ति ने कहा - भादवा माता जाना चाहिए। सुना है वहाँ नहाने से लकवाग्रस्त
मरीज बिलकुल ठीक हो जाते हैं।
यह सुनते ही हमने निश्चय कर लिया भादवा माता जाने का। मध्यप्रदेश के नीमच शहर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हम पहुँचे भादवा माता मंदिर। मंदिर के दोनों तरफ पूजा-अर्चना के सामानों से दुकानें सजी थीं। थोड़ा अंदर जाने पर हमें पानी की एक बड़ी टंकी दिखाई दी। हम कुछ और आगे बढ़े और मंदिर परिसर में पहुँच गए। वहाँ हमारी मुलाकात हुई मंदिर प्रबंधक विश्वनाथ गहलोत से।
यह सुनते ही हमने निश्चय कर लिया भादवा माता जाने का। मध्यप्रदेश के नीमच शहर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद हम पहुँचे भादवा माता मंदिर। मंदिर के दोनों तरफ पूजा-अर्चना के सामानों से दुकानें सजी थीं। थोड़ा अंदर जाने पर हमें पानी की एक बड़ी टंकी दिखाई दी। हम कुछ और आगे बढ़े और मंदिर परिसर में पहुँच गए। वहाँ हमारी मुलाकात हुई मंदिर प्रबंधक विश्वनाथ गहलोत से।
बात को आगे बढ़ाते हुए गहलोत जी ने बताया कि नवरात्र के मेले के समय यहाँ खासी भीड़ रहती है। पहले यहाँ काफी अव्यवस्था फैल जाती थी, जिसको देखते हुए प्रशासन ने पानी की टंकी बनवाई है। पिछले बीस सालों से बावड़ी में नहाना बंद करवा दिया है। बावड़ी के पानी से टंकी भरती है। यहीं पर महिलाओं और पुरुषों के लिए दो अलग-अलग स्नानागार बनवाए गए हैं। अब रोगी हो या आम इनसान, स्नान यहीं किया जाता है।
अब हमें रास्ते में दिखी बड़ी टंकी का रहस्य समझ में आया। मंदिर और बावड़ी को देखने के बाद हमने रुख किया पानी की टंकी के पास बने स्नानागारों की ओर। पानी की टंकी के पास काफी भीड़ थी। हमने वहाँ स्नान कर रहे रोगियों से बातचीत की।

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