
क्या
किसी इंसान के शरीर में देवी माँ की छाया नजर आ सकती है। क्या कोई इंसान
देवी का रूप धारण कर अंगारों पर चल सकता है। आइए आस्था और अंधविश्वास की
इस कड़ी में हम आपको लेकर चलते हैं कुछ ऐसे लोगों के पास जिनका दावा है कि
देवी उनके शरीर में प्रवेश कर अपने भक्तों का कल्याण करती है और उनके
दु:ख-दर्द दूर करती है।
आइए चलते हैं मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में...यहाँ के माँ दुर्गा के एक मंदिर में आरती शुरू होते ही कुछ महिलाओं में देवी तो कुछ पुरुषों में देवी का वाहन शेर या काल भैरव प्रवेश करते हैं और ये अजीबो-गरीब ढंग से व्यवहार करते हुए स्वयं भी देवी की आराधना करते हैं तथा देवी के रूप में भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं। इन लोगों में देवी का शरीर में आगमन होने का जुनून इस हद तक होता है कि ये जलता हुआ कपूर अपनी जुबान पर रखकर देवी की आरती उतारते हैं तो कुछ हाथ में जलता कपूर लेकर देवी की आरती करते हैं।
आइए चलते हैं मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में...यहाँ के माँ दुर्गा के एक मंदिर में आरती शुरू होते ही कुछ महिलाओं में देवी तो कुछ पुरुषों में देवी का वाहन शेर या काल भैरव प्रवेश करते हैं और ये अजीबो-गरीब ढंग से व्यवहार करते हुए स्वयं भी देवी की आराधना करते हैं तथा देवी के रूप में भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं। इन लोगों में देवी का शरीर में आगमन होने का जुनून इस हद तक होता है कि ये जलता हुआ कपूर अपनी जुबान पर रखकर देवी की आरती उतारते हैं तो कुछ हाथ में जलता कपूर लेकर देवी की आरती करते हैं।
क्या वाकई भक्तों का इस तरह से शरीर में प्रकट होने वाली देवी की आराधना करना आस्था का प्रतीक है? क्या माँ का अपने भक्तों के शरीर में प्रवेश करने को सच्चाई माना जा सकता है या यह केवल भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करने का जरिया मात्र है? आपको क्या लगता है, अपनी राय से हमें जरूर अवगत कराएँ।
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