Saturday, December 20, 2014

एक मंदिर जहाँ भरती हैं सूनी गोदें






बच्चा भगवान का सबसे खूबसूरत तोहफा होता है। एक दंपति के जीवन में सबसे प्यारा वह पल होता है जब एक मीठी किलकारी उसके आँगन में गूँजती है। माना तो यह भी जाता है कि दुनिया का सबसे बड़ा सुख संतान सुख ही है। इस सुख से वंछित लोगों की मनोदशा को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।

निःसंतान दंपति इस सुख को पाने के लिए हर जतन करते हैं। कभी वह भगवान के दर पर मत्था टेकते हैं, कभी दवाखाने के चक्कर लगाते हैं तो कभी टोने-टोटके या बाबाओं के चक्कर में फँस जाते हैं।


  भक्त माँ को तीन नारियल चढ़ाकर गोद भरने की याचना करता है। पुजारी भक्त को गले में बंधन बाँधने के लिए मौली का धागा देते हैं। पाँच हफ्तों तक यह धागा गले में बाँधना होता है।मुराद पूरी हो गई तो पाँच नारियलों का तोरण यहाँ के पेड़ पर बाँधना होता है।      

आस्था और अंधविश्वास की कड़ी में इस बार हम आपको दिखा रहे हैं इंदौर स्थित कालरात्रि माँ का मंदिर। इस मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है। लोगों का मानना है कि मंदिर में एक बार गोद भरवा लेने के बाद उनके आँगन में किलकारियाँ जरूर गूँजती हैं। चूँकी यह मंदिर कालरात्रि माँ का स्थान है, इसलिए यहाँ मंगलवार की रात को विशेष पूजा-अर्चना होती है।

यह जानने के बाद हम मंगलवार की रात दस बजे जा पहुँचे माँ के दर पर। यहाँ भक्तों का हुजूम लगा हुआ थाइन लोगों से बात करने पर पता चला कि कुछ लोग यहाँ मुराद माँगने आए थे तो कुछ ऐसे थे जिनकी गोद भर चुकी थी। वे अपने नौनिहाल के साथ माँ को धन्यवाद देने आए थे।




ऐसे ही एक दंपति संजय आंबरिया ने ‘वेबदुनिय’ को बताया कि शादी के दस साल बाद तक उनकी पत्नी की गोद सूनी थी। मुंबई में एक दोस्त ने उन्हें इस मंदिर की जानकारी दी। वे तुंरत यहाँ आए और मन्नत माँगी। मन्नत माँगने के कुछ समय के भीतर ही उनकी पत्नी की गोद भर गई। अब वे अपनी पत्नी और बच्ची के साथ अपनी मन्नत पूरी करने आए हैं।

यहाँ मन्नत माँगने का तरीका बेहद अनूठा है। सबसे पहले भक्त माँ को तीन नारियल चढ़ाकर गोद भरने की याचना करता है। मंदिर के पुजारी भक्त को गले में बंधन बाँधने के लिए मौली का धागा देते हैं। भक्त को पाँच हफ्तों तक यह धागा गले में बाँधना होता है।

यदि मुराद पूरी हो गई तो नियमानुसार पाँच नारियलों का तोरण यहाँ के पेड़ पर बाँधना होता है। संजय आंबरिया यही तोरण बाँधने मंदिर आए थे। संजय आंबरिया की तरह कई भक्त जिनकी मुराद पूरी हो गई थी, वे यहाँ तोरण बँधवा रहे थे। मंदिर में लगे पेड़ पर ऐसे सैकड़ों तोरण बँधे हुए हैं।

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