क्या यह संभव है कि
राक्षस को ही कुल देवता मानकर उसकी पूजा-अर्चना की जाए? आस्था और
अंधविश्वास की इस कड़ी में हम आपको लेकर चलते हैं एक ऐसे गाँव, जहाँ के लोग
एक राक्षस को अपने कुलदेवता के रूप में पूजते हैं।
महाराष्ट्र स्थित अहमदनगर जिले की पाथर्डी तहसील में 'नांदुर निंबादैत्य'
महाराष्ट्र स्थित अहमदनगर जिले की पाथर्डी तहसील में 'नांदुर निंबादैत्य'
कहा जाता है कि जब वनवास के दौरान भगवान राम अपनी पत्नी सीता को ढूँढ़ रहे थे। तब केदारेश्वर में वाल्मीकि ऋषि से भेंट के लिए जाते समय वे इसी गाँव के जंगल में ठहरे थे। इसी जंगल में रहने वाले निंबादैत्य ने भगवान राम की बहुत सेवा और आराधना की। प्रभु राम ने उसे अपने भक्त के रूप में स्वीकार कर वरदान दिया कि इस गाँव में तुम्हारा ही अस्तित्व रहेगा और यहाँ के लोग हनुमान की पूजा न करते हुए तुम्हें ही अपना कुलदेवता मानकर आराधना करेंगे।
हनुमान नाम का यहाँ इतना प्रकोप है कि गाँव के किसी व्यक्ति का नाम हनुमान या मारुति नही रखा जाता। क्योंकि मारुति भी भगवान हनुमान का दूसरा नाम है। यहाँ तक हनुमान के नाम वाले व्यक्ति का नाम बदलकर ही उसे गाँव में प्रवेश दिया जाता है।
शिक्षक एकनाथ जनार्दन पालवे के मुताबिक दो महीने पूर्व ही लातूर जिले से एक मारुति नाम का मजदूर काम करने गाँव में आया था और दो दिन बाद ही वो श्मशान के निकट विचित्र आवाज निकालकर कूदा-फाँदी करने लगा, तब गाँव के रहवासियों ने उसे दैत्य मंदिर ले जाकर उसका नाम परिवर्तित कर उसे लक्ष्मण नाम दिया और वह आश्चर्यजनक रूप से ठीक भी हो गया।
इस गाँव के अधिकांश लोग रोजी-रोटी के लिए बाहर के शहरों में काम करते हैं परंतु निंबादैत्य की यात्रा के समय सभी लोग अपने गाँव जरूर लौटते हैं। पुलिस आरक्षक अविनाश गर्जे के मुताबिक यात्रा के समय विषम परिस्थितियाँ होने के बावजूद भी कोई चमत्कार भक्तों को गाँव तक खींच ही लाता है।
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कोई राक्षस किसी का कुलदेवता हो सकता है यह बात आश्चर्यजनक जरूर है मगर है सच्ची... आप इसे मानें या न मानें। यदि आप भी किसी ऐसी ही घटना के बारे में जानते हैं तो हमे अवश्य लिखें।
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