Sunday, December 21, 2014

गंदे नाले में नहाओ, भूत-प्रेत भगाओ!

घुटी-घुटी चीखें, हर तरफ सिसकियों की आवाज, रोना-कलपना, चीखना-चिल्लाना। यह भयावह मंजर है जावरा की हुसैन टैकरी का। इस टेकरी के बारे में हमने काफी कुछ सुन रखा था।

सोचा, क्यों न सबसे पहले जायजा लिया जाए इस टेकरी का, जहाँ भूत-प्रेत भगाने के नाम पर लोगों से नाना प्रकार के खटकर्म कराए जाते हैं। टेकरी पर जाने के लिए हमने सुबह का वक्त चुना। हमारी घड़ी में सुबह के सात बज रहे थे और हम अपनी मंजिल हुसैन टेकरी पर पहुँच चुके थे।

टेकरी का मुख्य द्वार आया ही था कि हमें पागलों की तरह झूमती दो औरतें मिलीं। जमुनाबाई और कौसर बी नामक ये औरतें लगातार अरे बाबा रे... कहते हुए अजीब-अजीब आवाजें निकाल रही थीं। इनकी चीखें सुन अच्छे-अच्छों की घिग्घी बँध जाना स्वाभाविक था।

इनके बारे में ज्यादा जानने के लिए हमने साथ आए लोगों से बातचीत की। जमुनाबाई के पति ने बताया कि पिछले कई दिनों से जमुना का व्यवहार बदल गया था। वह पागलों की तरह हरकतें करती थी। तब गाँव के फकीर ने बताया कि जमुना पर डायन का साया है। उसे हुसैन टेकरी ले जाओ।




हम दो हफ्ते पहले उसे यहाँ लेकर आए हैं। यहाँ धागा बाँधते ही जमुना को हाजिरी (कथित तौर पर उसके अंदर की बला बात करने लगी) आने लगी है (जमुना ने अजीब तरह से चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया)। हमें लगता है कि यहाँ पाँच जुम्मे बिताने के बाद वह ठीक हो जाएगी।

इनसे बातचीत कर हम हजरत इमाम हुसैन के रोजे में दाखिल हुए। वहाँ का मंजर देख हम भौंचक रह गए। हर तरफ औरतें चीख-चिल्ला रही थीं, अपना सिर पटक रही थीं, धूप से तपते फर्श पर लोट लगा रही थीं, बेड़ियों से जकड़े आदमी सिसक रहे थे।

इन्सानों से जानवरों की तरह व्यवहार? क्या यहाँ ऐसा ही होता है। बात की तह तक पहुँचने के लिए हमने टेकरी के कार्यकारी अधिकारी तैमूरी साहब से संपर्क किया।

No comments:

Post a Comment