क्या
आपकी कुंडली में बैठे ग्रह आपके जीवन में होने वाली घटनाओं को प्रभावित कर
सकते हैं? क्या इन ग्रहों की विशेष स्थिति आपकी जिंदगी में उथल-पुथल मचा
सकती है। आप कहेंगे यह सब बकवास है, कोरी बकवास। इनसान का कर्म ही उसका
भाग्य निर्धारित करता है, लेकिन विश्वास कीजिए इस इक्कीसवीं सदी में भी ऐसी
बातों को मानने वाले लोगों की कमी नहीं है।
इस तरह के योगों में से एक कालसर्प योग को हमारी ही सदी में ज्यादा बढ़ावा मिला है। आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हमारा पड़ाव है नासिक का त्र्यंबक गाँव, जहाँ हर माह हजारों लोग कालसर्प योग की ग्रह शांति कराने जाते हैं। हमारे इस सफर की शुरुआत नासिक बस स्टेशन से हुई। हम नासिक से त्र्यंबक जाने के लिए वाहन ढूँढ़ रहे थे, तभी कुछ टैक्सी वालों ने हमसे ही पूछताछ चालू कर दी। ‘कहाँ जाना है’ से लेकर शुरू हुई यह बातचीत कालसर्प योग पर जाकर खत्म हुई। कुछ मोलभाव के बाद हमने एक टैक्सी किराए पर ले ली। हमारे टैक्सी चालक का नाम गणपत था।
इस तरह के योगों में से एक कालसर्प योग को हमारी ही सदी में ज्यादा बढ़ावा मिला है। आस्था और अंधविश्वास की इस कड़ी में हमारा पड़ाव है नासिक का त्र्यंबक गाँव, जहाँ हर माह हजारों लोग कालसर्प योग की ग्रह शांति कराने जाते हैं। हमारे इस सफर की शुरुआत नासिक बस स्टेशन से हुई। हम नासिक से त्र्यंबक जाने के लिए वाहन ढूँढ़ रहे थे, तभी कुछ टैक्सी वालों ने हमसे ही पूछताछ चालू कर दी। ‘कहाँ जाना है’ से लेकर शुरू हुई यह बातचीत कालसर्प योग पर जाकर खत्म हुई। कुछ मोलभाव के बाद हमने एक टैक्सी किराए पर ले ली। हमारे टैक्सी चालक का नाम गणपत था।
अभी हम कुछ दूर ही पहुँचे थे कि हमारे टैक्सी ड्राइवर गणपत ने एक सधे एजेंट की तरह पूछताछ चालू कर दी। क्या तकलीफ है? पूजा कराना है क्या? कालसर्प योग है या बड़ी पूजा (नारायण नागबलि) करवाना है? पंडित पहले से तय है? यदि नहीं तो मेरे एक परिचित पंडितजी हैं।
इस बातचीत से हमें पता चला कि हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग कालसर्प योग से छुटकारा पाने के लिए त्र्यंबक आते हैं। बातचीत के बीच वक्त का पता ही नहीं चला और हम अपनी मंजिल त्र्यंबकेश्वर पहुँच चुके थे। हर तरफ महामृत्युंजय जप और शिवस्तुति के श्लोक गुंजायमान थे। सबसे पहले हम गोदावरी के कुंड कुशावर्त तीर्थ के घाट पर गए। कुंड में बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान कर रहे थे। स्नान के बाद लगभग हर व्यक्ति ने नए कपड़े पहने। गणपत की मानें तो ये सभी कालसर्प पूजा या नारायण नागबलि की पूजा में सम्मिलित होने जाने वाले थे।
खांडे परिवार की ही तरह अनेक लोग यहाँ कालसर्प योग के निवारण के लिए आए थे। इस पर भी आश्चर्य की बात यह थी कि इनमें से अधिकांश उच्च शिक्षित थे।
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