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वजह सिर्फ एक, इन सभी को कुत्ते ने काटा है और वे कुत्ते के जहर से निजात पाना चाहते हैं। नाले के आस-पास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहाँ कई आईएएस अधिकारी भी कुत्ते के काटने के बाद नाले में नहा चुके हैं। लोगों की मान्यता है कि कुकरैल के नाले में नहाने से उन्हें कुत्ते के जहर से मुक्ति मिलेगी।
बन्धे की तरफ सुबह से ही कुत्ते काटने से पीडि़त मरीज और उनके परिजनों के आने का ताँता लग जाता है। वहीं बनी पुलिया पर नाले में नहाकर आए पीडित का झाड़फूँक कर तथा सत्तू, गुड़ से फूँक कर इलाज किया जाता है। पुलिया पर झाड़फूँक के लिए रविवार और मंगलवार को संजय जोशी, नोन्दर जोशी और नूरजहाँ मौजूद रहते हैं।
रविवार और मंगलवार के दिन इस नाले पर सुबह से ही पीडि़तों का ताँता लग जाता है। भोर से ही पाँच वर्षीय विशाल अपने पिता प्रदीप कुम्हार, गाँव मानपुर लाल, अस्ति, लखनऊ के साथ कुकरैल नाला नहाने आता है। विशाल के पिता को पूरा विश्वास है कि रविवार और मंगलवार को कुकरैल नाले में नहाने के बाद उनके बेटे को कुत्ता काटने की सुई लगवाने की कोई आवश्यकता नहीं।
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