Sunday, December 21, 2014

कुत्ता काटे तो कुकरैल नाले में नहाओ

मान्यता है कि यहाँ नहाने से कुत्ते का जहर उतर जाता है...




सड़क चलते कोई पागल कुत्ता काट ले या फिर दुलार करते समय टॉमी के दाँत शरीर में गड़ जाएँ तो आप क्या करेंगे। कुछ लोग इस स्थति में कुकरैल नाले के गन्दे पानी में नहाते हैं... इन लोगों का मानना है कि कुकरैल नाले में नहाने के बाद कुत्ते के काटने से शरीर में फैलने वाले जहर से बचा जा सकता है


रविवार और मंगलवार के दिन नाले पर स्नान करने के लिए दूर-दूर से गाँव, गिराँव के साथ-साथ राजधानी के लब्ध प्रतिष्ठित लोग भी आते हैं। वजह सिर्फ एक, इन सभी को कुत्ते ने काटा है और वे कुत्ते के जहर से निजा‍त पाना चाहते हैं।

इसे आस्था कहें या अन्धविश्वास किन्तु राजधानी लखनऊ में कुत्ता काटने पर कुकरैल नाले में नहाने का प्रचलन पीढि़यों पुराना है। आस्था के इस केन्द्र को देखने यह संवाददाता चल पड़ता है। कुकरैल नाला राजधानी के बीचों-बीच लखनऊ-फैजाबाद रोड पर स्थित है। प्रत्येक रविवार और मंगलवार के दिन इस नाले पर स्नान करने के लिए दूर-दूर से गाँव, गिराँव के साथ-साथ राजधानी के लब्ध प्रतिष्ठित लोग भी आते हैं।

वजह सिर्फ एक, इन सभी को कुत्ते ने काटा है और वे कुत्ते के जहर से निजा‍त पाना चाहते हैं। नाले के आस-पास रहने वाले लोगों का कहना है कि यहाँ कई आईएएस अधिकारी भी कुत्ते के काटने के बाद नाले में नहा चुके हैं। लोगों की मान्यता है कि कुकरैल के नाले में नहाने से उन्हें कुत्ते के जहर से मुक्ति मिलेगी।




जब मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि मौके पर एक गन्दा नाला बह रहा है। नाले के एक तरफ भूमाफियाओं ने अवैध कब्जाकर झोपड़ी और पक्के मकान बना रखे हैं तो दूसरी तरफ कुकरैल का तटबाँध बना है। यह कुकरैल नाला राजधानी से लगभग 20-30 किमी दूर बक्शी का तालाब के आगे से अस्ति गाँव से निकलकर भैंसाकुण्ड के गोमती बैराज में जाकर मिलता है। फैजाबाद रोड पर बने पुल के नीचे कुकरैल नाले में ही नहाने से कुत्ते के जहर से निजात की मान्यता है।

बन्धे की तरफ सुबह से ही कुत्ते काटने से पीडि़त मरीज और उनके परिजनों के आने का ताँता लग जाता है। वहीं बनी पुलिया पर नाले में नहाकर आए पीडित का झाड़फूँक कर तथा सत्तू, गुड़ से फूँक कर इलाज किया जाता है। पुलिया पर झाड़फूँक के लिए रविवार और मंगलवार को संजय जोशी, नोन्दर जोशी और नूरजहाँ मौजूद रहते हैं




झाड़फूँक करने वाले संजय जोशी का कहना है कि यह उनका पुश्तैनी पेशा है और कुत्ते का जहर फूँकने में उसकी अब तक चार पीढियाँ गुजर चुकी हैं। संजय जोशी राजधानी के मनकामेश्वर मंदिर के निकट जोशी टोला के निवासी हैं। वे चार पीढी पुराना लोहे का एक पंजा दिखाते हैं जिससे पीडित के जख्म पर रखकर झाड़फूँक की जाती है और मंत्र पढा जाता है। मंत्र के बारे में पूछने पर संजय जोशी उसे बताने से साफ मना कर देते हैं और कहते हैं कि वे मंत्र को बता नहीं सकते। बस इतना कहते हैं कि वे भैरो का मंत्र जाप करते हैं।

रविवार और मंगलवार के दिन इस नाले पर सुबह से ही पीडि़तों का ताँता लग जाता है। भोर से ही पाँच वर्षीय विशाल अपने पिता प्रदीप कुम्हार, गाँव मानपुर लाल, अस्ति, लखनऊ के साथ कुकरैल नाला नहाने आता है। विशाल के पिता को पूरा विश्वास है कि रविवार और मंगलवार को कुकरैल नाले में नहाने के बाद उनके बेटे को कुत्ता काटने की सुई लगवाने की कोई आवश्यकता नहीं।

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