हमें मिली जानकारी के अनुसार गाँव में हर साल दत्त जयंती के दिन भूतों का मेला लगता है। यह सुन दत्त जयंती के दिन हमने भी चोरवड गाँव का रुख किया। गाँव के नजदीक पहुँचते ही हमें मेले में जाते लोगों के समूह दिखे। हर समूह में दो-तीन लोग मानसिक रूप से बीमार लग रहे थे।
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इन लोगों से बातचीत करते हुए हम मेले में पहुँच गए। आम मेलों की तरह यहाँ भी बड़े-बड़े झूले लगे थे, लेकिन इन झूलों और खाने के ठेलों के बीच हमें हर जगह झूमते व खुद को तकलीफ देते लोग दिखाई दे रहे थे। हिस्टीरिया के दौरे की तरह ये लोग चीख-चिल्ला रहे थे। कुछ अपने आप से बात करने में मगन थे।
इन लोगों से मिलकर हमें लगा कि पीड़ित लोग मानसिक बीमारी के घेरे में हैं। हमें महसूस हुआ कि इन लोगों को अच्छी मनोचिकित्सा और प्यार की जरूरत है, लेकिन मेले में आए लोगों का दावा था कि यदि आप ईश्वर पर विश्वास करते हैं, तो आपको भूतों पर भी विश्वास करना होगा। इस बारे में आप क्या सोचते हैं? हमें बताइएगा।
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